Manishi Swami Gyananand Ji Maharaj

* जहाँ भी हैं, अपने अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठां । अधिकार की चिंता नहीं । कर्तव्य ही अधिकार बन सकता है और कर्तव्य ही पुरस्कार । स्वस्थ सकराकत्मक सोच का भवन कर्म ही धर्म बन जाएगा तथा कर्म ही पूजा ।

* समय के महत्व को समझो, समय आपका महत्व बड़ा देगा । समय का सदुपयोग करने की आदत बनाओ, समय आपको ऊंचा उठा देगा ।

* सकारत्मक सोच रखे, नकारत्मक नहीं । सोच आशावादी, उत्साहवादी हो, निराशवादी नहीं, शांति अशांति इसी पर निर्भर है ( अनमोल वचन फरवरी 2020 पेज )